Top 10 कहानियाँ जो बच्चों की सोच और समझ को प्रेरित करें (2) (1)

Top 10 कहानियाँ जो बच्चों की सोच और समझ को बेहतर बनाएं…

परिचय

कहानियाँ बच्चों की कल्पनाशीलता और समझ को बढ़ावा देने का एक अद्वितीय तरीका हैं। “Story Duniya” ऐप आपके बच्चों को बेहतरीन कहानियाँ प्रदान करती है जो मनोरंजन के साथ-साथ महत्वपूर्ण जीवन पाठ भी सिखाती हैं। इस ब्लॉग में हम आपके लिए पेश कर रहे हैं 10 शानदार कहानियाँ जो बच्चों को खुश करने के साथ-साथ उनकी शिक्षा में भी योगदान देंगी।

1. डरपोक पत्थर की कहानी(The Coward Stone)

एक शिल्पकार ने जंगल में दो पत्थर पाए। एक पत्थर दर्द से चिल्लाया और  काम से बचने के लिए शिल्पकार ने उसे छोड़ दिया। दूसरी ओर, शिल्पकार ने दूसरे पत्थर को तराशा और उससे एक सुंदर मूर्ति बनाई। गाँववाले ने पहले पत्थर को नारियल फोड़ने के लिए इस्तेमाल किया। पत्थर दुखी होकर मूर्ति से बोला, “तुम्हारी पूजा होती है और मैं नारियल की चोट सहता हूँ।”

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डरपोक पत्थर

मूर्ति ने उत्तर दिया, “तुमने कठिनाई से बचकर आसान रास्ता चुना, और अब तुम्हें केवल कष्ट मिल रहा है। “सच्ची सफलता और सम्मान केवल उन्हीं को मिलता है, जो कठिनाइयों का सामना करते हैं।” तुम्हारी चुनी हुई आसान राह ने तुम्हें कुछ नहीं दिया, जबकि मैंने अपनी कठिनाइयों को सहन कर सुंदरता प्राप्त की।”पत्थर ने मूर्ति की बातों को समझा और उसे एहसास हुआ कि असली मूल्य मेहनत और संघर्ष से मिलता है। उसने सीखा कि कठिनाइयाँ अस्थायी होती हैं, लेकिन उनका सामना करने से प्राप्त सफलता स्थायी और मूल्यवान होती है।

  • नैतिक शिक्षा: कठिन परिस्थितियों का सामना करके ही सच्ची सफलता प्राप्त होती है। आसान रास्ता चुनने से केवल असंतोष ही मिलता है।

2. हाथी और दर्जी (The Elephant and the Tailor)

“एक हाथी रोज़ झील में स्नान करने के बाद महेश नाम के दर्जी की दुकान पर लड्डू लेने आता” था। महेश हाथी को बहुत पसंद करता था और उसकी आदतों को समझता था। एक दिन, जब महेश दुकान पर नहीं था, तो उसके बेटे गोविंद ने हाथी की आदतों को जानकर उसे शरारत से सुई चुभा दी। हाथी ने दर्द सहा, लेकिन शांत रहकर वहाँ से चला गया।

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                     हाथी और दर्जी

 अगले दिन, हाथी ने झील से पानी भरकर गोविंद और दुकान को पूरी तरह से भिगो दिया। इस पर गोविंद को हाथी की प्रतिक्रिया से समझ में आया कि उसकी शरारत का जवाब मिल चुका है। महेश ने गोविंद को बताया कि जानवरों के साथ शरारत करना और उन्हें कष्ट पहुंचाना गलत है।महेश ने गोविंद को समझाया कि हाथी ने अपने गुस्से को नियंत्रित करके हल्के ढंग से प्रतिक्रिया दी, जो उसकी समझदारी और आत्म-नियंत्रण को दर्शाता है। सभी जीवों के प्रति सम्मान और संवेदनशीलता रखना चाहिए।

  • नैतिक शिक्षा: जानवरों के प्रति संवेदनशील और सम्मानजनक व्यवहार रखना चाहिए। शरारतों का सही ढंग से जवाब देना चाहिए।

3. मूर्ख के सरदार (List Of Fools)

अकबर और बीरबल बाजार में एक व्यक्ति को देखा जो दोनों हाथ फैलाए चल रहा था। उसने कहा कि वह पुरानी अलमारी का माप ले जा रहा है। अकबर ने बीरबल को हुकुम दिया कि वह एक हफ्ते में चार मूर्खों को खोजकर दरबार में लाएं।

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                     मूर्ख के सरदार

बीरबल ने राज्य भर में खोजबीन की और एक घुड़सवार को पाया जो अपने सिर पर घास का बोझा रखे था। एक आदमी को पाया जो रेत में खोई अंगूठी ढूंढ रहा था, और उसे आकाश में ऊंट जैसा बादल दिखाने की बात कर रहा था। बीरबल ने इन मूर्खों की हरकतों को ध्यान से देखा और उन्हें दरबार में पेश किया।

जब बीरबल ने दरबार में अकबर से कहा कि वह खुद तीसरे मूर्ख हैं, क्योंकि मूर्खों की तलाश में पूरा हफ्ता बर्बाद किया, तो अकबर हंस पड़े। बीरबल ने सच्चाई का संकेत देते हुए कहा, “मूर्खता केवल उनके कार्यों में नहीं, बल्कि हमारे समय का सदुपयोग करने में भी होती है। जब तक हम बेवकूफी में लगे रहेंगे, तब तक हमारी प्रगति और समृद्धि भी प्रभावित होती रहेगी।”अकबर ने बीरबल की बात मानते हुए समय के सही उपयोग के महत्व को समझा” और अपने दरबार में सुधार करने का संकल्प लिया।

  • नैतिक शिक्षा: समय का सही उपयोग करें। बेवकूफी केवल असंगत कार्यों में नहीं, बल्कि समय की अनदेखी में भी होती है।

4. बोलने वाली गुफा(The Speaking Cave)

एक बार की बात है, एक शेर एक घने जंगल में स्थित एक गुफा में छिपकर शिकार का इंतजार कर रहा था। वह गुफा का मालिक सियार था, जो शेर के पंजों के निशान देखकर समझ गया कि शेर गुफा के अंदर है। सियार ने शेर को धोखा देने का निश्चय किया और गुफा के बाहर से शेर को आवाज लगाई, “अरी ओ गुफा! आज तुमने मुझे आवाज क्यों नहीं दी?”शेर ने गुफा की आवाज सुनी और सोचा कि गुफा डर के मारे चुप है, इसलिए उसने खुद को पुकारते हुए आवाज दी, “मैं यहाँ हूँ, मुझे ढूंढो।”

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बोलने वाली गुफा

सियार ने शेर की आवाज सुनकर समझा कि शेर अंदर है और उसने चुपचाप गुफा के पास से हटकर दूर जाकर अपनी जान बचाने का निर्णय लिया।सियार की सूझबूझ ने उसे संकट से बाहर निकाला, जबकि शेर को गुफा में ही चुपचाप बैठना पड़ा। सियार ने दूर जाकर सुरक्षित स्थान पर पहुंचकर अपनी जान बचाई और शेर को उसकी योजना के तहत धोखा देने में सफल रहा।

  • नैतिक शिक्षा: कठिन परिस्थितियों में सूझबूझ और समझदारी से काम लेने पर समस्या का समाधान मिल सकता है। हमेशा स्थिति का सही आकलन करें और सोच-समझकर कदम उठाएं।

5. धोबी का गधा(The Washerman’s Donkey)

धोबी के पास एक गधा था जो न सिर्फ कपड़े ढोता था, बल्कि, ‘रात में घर की सुरक्षा भी करता था।’ धोबी अपने कुत्ते पर अधिक भरोसा करता था और सोचता था कि सुरक्षा का काम सिर्फ कुत्ते का है। एक रात, जब एक चोर घर में चोरी की योजना बना रहा था, कुत्ता सो रहा था और उसने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।

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धोबी का गधा

गधे ने स्थिति की गंभीरता को समझा और जोर-जोर से रेंकने लगा ताकि धोबी जाग जाए और चोर को पकड़ सके।धोबी को गधे का रेंकना बेवजह का शोर लगा, और उसने गधे को चुप कराने के लिए डांटा और पीट दिया। वह गधे की चेतावनी को नजरअंदाज कर वापस सो गया, ‘जबकि चोर ने इस मौके का फायदा उठाकर घर में चोरी कर ली और भाग गया।’

अगली सुबह, धोबी ने पाया कि घर से कीमती सामान गायब था। उसे अपनी गलती का एहसास हुआ कि उसने गधे की आवाज़ को नज़रअंदाज़ किया था, जो वास्तव में उसे खतरे से आगाह कर रहा था।इस घटना के बाद, ‘धोबी को समझ में आया कि हर किसी का अपना महत्व और भूमिका होती है।‘ उसने गधे से माफी मांगी और उसे महसूस हुआ कि कभी-कभी जिन चीज़ों को हम अनदेखा कर देते हैं, वही हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण साबित हो सकती हैं।’

  • नैतिक शिक्षा: बिना सोचे-समझे दूसरों के काम में दखल देना सही नहीं होता और सभी की भूमिका का सम्मान करना चाहिए।

6. गुरुभक्त आरुणि(Guru Bhakt Aruni)

धौम्य ऋषि के आश्रम में आरुणि नाम का एक निष्ठावान और समर्पित शिष्य था। एक दिन, गुरु धौम्य ने आरुणि को खेत में बाड़ बनाने का आदेश दिया क्योंकि लगातार हो रही बारिश से फसल को नुकसान पहुंच रहा था। बारिश तेज़ हो गई और मौसम बेहद खराब हो गया, लेकिन आरुणि ने हार नहीं मानी। वह सारी रात बारिश में भीगता रहा और बाड़ बनाने का काम पूरा किया।

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                  गुरुभक्त आरुणि

जब बाड़ टूटने लगी, तो आरुणि ने खुद को बाड़ के रूप में लगाकर खेत की रक्षा की। उसकी निष्ठा और गुरु के प्रति समर्पण देखकर गुरु धौम्य ने आरुणि की बहुत प्रशंसा की और उसे अपने सबसे प्रिय शिष्य का दर्जा दिया। इस घटना ने आरुणि को आश्रम में एक उच्च और सम्मानित स्थान दिलाया।

नैतिक शिक्षा:सच्ची गुरुभक्ति और निष्ठा से कठिनाइयों का सामना किया जा सकता है।

7. भेड़िया और सारस (The Wolf and the Crane)

एक दिन एक भेड़िया खाना खाते-खाते एक बड़ी हड्डी निगल गया, जो उसकी गले में फंस गई। भेड़िया दर्द से कराहने लगा और मदद की तलाश में इधर-उधर भटकने लगा। वह जानता था कि किसी की मदद के बिना उसकी जान खतरे में पड़ सकती है। उसी समय, उसने एक सारस को देखा और उससे मदद की भीख मांगी।सारस ने पहले सोचा कि भेड़िया कितना खतरनाक हो सकता है, ‘लेकिन फिर उसने भेड़िया की मदद करने का फैसला किया।’

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                      भेड़िया और सारस

उसने अपनी लंबी चोंच का इस्तेमाल कर भेड़िया के गले से हड्डी निकाल दी। भेड़िया राहत महसूस कर रहा था, लेकिन उसने न तो सारस का धन्यवाद किया और न ही कोई इनाम दिया। इसके बजाय, उसने सारस को डराकर भगा दिया।इस घटना से सारस को बहुत दुख हुआ, और उसने यह सबक लिया कि बुरे और विश्वासघाती लोगों पर भरोसा नहीं करना चाहिए। उसने महसूस किया कि कुछ लोग सिर्फ अपने स्वार्थ के लिए दूसरों की मदद लेते हैं, लेकिन बदले में कुछ देने के बजाय धोखा देते हैं। सारस ने अपनी गलती से सीखा और भविष्य में किसी पर भी आंख बंद करके भरोसा न करने का निर्णय लिया।

  • नैतिक शिक्षा: बुरे और विश्वासघाती लोगों पर भरोसा नहीं करना चाहिए।

8. रोहन और सोहन / गुल्लक(Rohan and Sohan’s Piggy Bank)

‘रोहन और सोहन’ दोनों भाई थे। उनके दादाजी ने उन्हें गुल्लक दी और कहा, “जब भी तुम्हें पैसे मिलें, उन्हें इस गुल्लक में डालो। धीरे-धीरे तुम्हारे पास काफी पैसे जमा हो जाएंगे।”रोहन नियमित रूप से पैसे गुल्लक में डालता था, जबकि सोहन कुछ दिनों बाद पैसे खर्च करने लगा। जब दादाजी का जन्मदिन आया, तो रोहन के पास अच्छे पैसे थे जबकि सोहन के पास बहुत कम पैसे बचे थे।

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               रोहन और सोहन

सोहन को अपनी गलती समझ में आई और उसने तय किया कि वह भी अब से बचत करेगा।रोहन ने सोहन की मदद की और दोनों ने मिलकर दादाजी के लिए एक अच्छा उपहार खरीदा।दोस्तों, “संगठित बचत से जरूरत के समय बड़ी मदद मिलती है। आज से ही अपनी बचत की आदत डालें और भविष्य के लिए तैयार रहें।”

  • नैतिक शिक्षा: बचत की आदत से भविष्य में जरूरत के समय बड़ा लाभ होता है। आज से ही अपनी बचत की शुरुआत करे|

9. आलसी चीकू (The Lazy Chiku)

रामपुर नामक गाँव के पास एक सुंदर पहाड़ी थी, जहां बहुत से खरगोश रहते थे। चीकू नाम का एक खरगोश बहुत आलसी था, जो केवल खाने और आराम करने में ही समय बिताता था। जबकि अन्य खरगोश खेलते और कूदते रहते थे, चीकू दिन-ब-दिन मोटा होता गया।

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                            आलसी चीकू

एक दिन, चीकू के दोस्तों ने एक खेत में गाजर की फसल का पता लगाया और सभी वहाँ जाने का निर्णय लिया। खेत में गाजर खाते समय खेत का मालिक आ गया। सभी खरगोश तेज़ी से भाग गए, लेकिन चीकू अपने भारी शरीर के कारण भागने में असमर्थ था। उसे खेत मालिक ने डंडे से पीटा और चीकू बाल-बाल बचा पाया।

उस घटना ने चीकू को यह समझाया कि उसकी आलसी आदतें उसे स्वास्थ्य और सुरक्षा से वंचित कर रही थीं। उसने अगले दिन से नियमित रूप से व्यायाम करना शुरू किया और दोस्तों के साथ खेलना भी शुरू कर दिया। धीरे-धीरे उसका वजन कम होने लगा और वह भी भागने में सक्षम हो गया।

  • नैतिक शिक्षा: स्वस्थ रहने के लिए नियमित व्यायाम और खेलना आवश्यक है। आलस्य से बचने के लिए सक्रिय रहना चाहिए।

10. पाखंडी बिल्ली (The Hypocritical Cat)

एक दिन एक कौआ अपने घोंसले में लौटा तो उसने देखा कि एक खरगोश उसके घोंसले में आराम कर रहा है। कौआ और खरगोश दोनों ने एक-दूसरे से  बहस की, लेकिन वे इस समस्या का समाधान नहीं कर सके। तभी उन्हें पता  चला कि पास ही एक धर्मपंडित बिल्ली रहती है, जो सभी विवादों का निपटारा करती है।

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पाखंडी बिल्ली

दोनों अपनी समस्या का समाधान पाने के लिए उस बिल्ली के पास गए। बिल्ली ने शांत और बुद्धिमान दिखने का नाटक किया और दोनों को बैठने को कहा। उसने बड़े ही प्रेमपूर्वक कहा कि वह उन्हें न्याय दिलाएगी और सब कुछ ठीक कर देगी।बिल्ली ने दोनों को आश्वासन दिया कि वे उसके पास बैठें और वह उनकी समस्याओं का समाधान करेगी। जैसे ही कौआ और खरगोश आराम से बैठे, “बिल्ली ने अपनी चालाकी दिखाई और मौका पाकर अचानक उन पर हमला कर दिया।

दोनों को बिल्ली की चालाकी का अहसास हुआ, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। बिल्ली ने उन्हें खा लिया, यह साबित करते हुए कि शत्रुओं और पाखंडी लोगों पर भरोसा करना कितनी बड़ी भूल हो सकती है।इस घटना ने दिखाया कि दूसरों की मीठी बातों में फंसकर उन पर अंधविश्वास करना खतरनाक हो सकता है। शत्रुओं और चालाक लोगों से हमेशा सतर्क रहना चाहिए और कभी भी पूरी तरह से भरोसा नहीं करना चाहिए।

  • नैतिक शिक्षा: शत्रुओं पर भरोसा नहीं करना चाहिए और हमेशा सतर्क रहना चाहिए।

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